दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है
दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है दिलों को तोड़ने वाले कहां इंसान होते है। नहीं ईंसानियत की वो कभी पहचान होते है।। लगाकर ठेस वो दिल को दिवानों की तरह अक्सर। खुशी इज़हार करते है बहुत शैतान होते है।। कभी अहसान मानेंगे नहीं चाहे करो कुछ भी। भुला दे बात …