ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना | दिल को छूने वाली ग़ज़ल
ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना। ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना। अपनी पगड़ी संभाल के रखना। डस न ले तीरगी कहीं तुमको। घर में दीपक उजाल के रखना। सांप इनमें ही छुप के पलते हैं। आस्तीनें संभाल के रखना। हो न ताख़ीर उनको देने में। हाथ पर दिल निकाल के रखना। दोस्त…