दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है
दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है दुख की घङियां सुखों में यूं ढल जाती है। जैसे फूलों में कलियां बदल जाती है ।। आँधियों में अग़र वो खुदा चाहे तो। फिर से बुझती हुई लौ भी जल जाती है।। हैं नादां चाहे जो शोहरत को वो । फूल …