इन दिनों मैंने पढ़ा
यादें अजीब है मनुष्य की प्रकृति ।जो हमारे पास है उसका हमें आभास तक नहीं होता और वही चीज कुछ दिनों के लिए हमसे दूर हो जाए तो उसकी याद सताती हैं ।हम उसके लिए व्याकुल हो जाते हैं। यह पुस्तक मुरारी लाल शर्मा जी ने अपनी धर्मपत्नी की याद में लिखा है। इसमें उन्होंने…