नहीं फूलों भरा आंगन रहा है
नहीं फूलों भरा आंगन रहा है नहीं फूलों भरा आंगन रहा है यहां सूखा यारों सावन रहा है ख़ुशी के फूलों से दामन भरा कब ग़मों से ही भरा दामन रहा है मिली मंजिल नहीं राहें वफ़ा की परेशां हर घड़ी बस मन रहा है खिले खुशियों कें जीवन में…
नहीं फूलों भरा आंगन रहा है नहीं फूलों भरा आंगन रहा है यहां सूखा यारों सावन रहा है ख़ुशी के फूलों से दामन भरा कब ग़मों से ही भरा दामन रहा है मिली मंजिल नहीं राहें वफ़ा की परेशां हर घड़ी बस मन रहा है खिले खुशियों कें जीवन में…