निगाहें अश्कों में ही तर रही है!
निगाहें अश्कों में ही तर रही है! निगाहें अश्कों में ही तर रही है! यादें दिल पे देती नश्तर रही है मुहब्बत की नजर से क्या देखेगा वो आंखों प्यार से बंजर रही है सहारा दें वफ़ा से जो हमेशा निगाहें ढूंढ़ती वो दर रही है उल्फ़त के तीर कब…