पास उसके हमारा घर होता
पास उसके हमारा घर होता काश कुछ इस कदर बसर होता। पास उसके हमारा घर होता ।। काटकर पेड़ उसने रोके कहा छांव मिलता जो इक शज़र होता।। रतजगे मार डालेंगे अब मुझे, यार तुम पर भी कुछ असर होता।। जीने मरने की तो फिकर ही कहां, जो भी होता…
पास उसके हमारा घर होता काश कुछ इस कदर बसर होता। पास उसके हमारा घर होता ।। काटकर पेड़ उसने रोके कहा छांव मिलता जो इक शज़र होता।। रतजगे मार डालेंगे अब मुझे, यार तुम पर भी कुछ असर होता।। जीने मरने की तो फिकर ही कहां, जो भी होता…