बंजारा की दो नयी कविताएँ
बंजारा की दो नयी कविताएँ ( 1 ) देवता कभी पत्थरों में खोजे गये और तराशे गयें देवता कभी मिट्टी में सोचे गये और ढ़ाले गयें देवता कभी प्लास्टिक में देखे गये और सांचे गयें. देवता लगातार सूखे पत्तों और कोरे कागजों पर चित्रित किये जाते रहें. मगर…अफ़सोस ! देवताओं को कभी हमने दिल में…