बादल आषाढ़ के | Baadal Ashad ke
बादल आषाढ़ के ( Baadal Ashad ke ) घिर आए फिर बादल आषाढ़ के, हे जलज मेघ तो अब बरसाओ, तपते जेठ से अब त्रस्त हुए सब तुम कुछ राहत तो अब पहुचाओं।। तुम्हारे बिना सुनी थी हरियाली मन में ना कोई भी थी खुशहाली ! प्यासी धारा तप रही चहूं ओर से, तुम बिन…