बोलचाल भी बंद | Kavita Bolachaal hi Band

बोलचाल भी बंद | Kavita Bolachaal hi Band

बोलचाल भी बंद ( Bolachaal hi Band ) करें मरम्मत कब तलक, आखिर यूं हर बार। निकल रही है रोज ही, घर में नई दरार।। आई कहां से सोचिए, ये उल्टी तहजीब। भाई से भाई भिड़े, जो थे कभी करीब।। रिश्ते सारे मर गए, जिंदा हैं बस लोग। फैला हर परिवार में, सौरभ कैसा रोग।।…