महेन्द्र सिंह प्रखर की कविताएं | Mahendra Singh Prakhar Poetry

महेन्द्र सिंह प्रखर की कविताएं | Mahendra Singh Prakhar Poetry

तुम ही मेरे मन मंदिर में ( गीत ) तुम ही मेरे मन मंदिर में , निशिदिन रही समायी हो ।तुमसे ही खुशियां है मेरी , तुम ही अब परछाई हो ।। तुमने ही जीवन में मेरे , कितने रंग बिखेरे हैं ।तुमसे ही साँझे है ढ़लती , तुमसे हुए सवेरे हैं ।।तुमको पाकर हर्ष…