मानवता का कर्तव्य निभाता हूँ!
मानवता का कर्तव्य निभाता हूँ! सारा जगत अपना ही परिवार है। फिर क्यों जगत को बँटा पाता हूँ। मुझको हर एक प्राणी से प्यार है। प्रभु की हर संतान को हृदय से लगाता हूँ। मैं सदा भूखे को खाना खिलाता हूँ। प्यासों को सदैव, पानी पिलाता हूँ। सेवा ही जीवन, इसी में आनंद है। बस!…