माना कि हज़ारों ग़म है
माना कि हज़ारों ग़म है माना कि हज़ारों ग़म है हौंसला क्यूं त्यागे । छाया जो भी अंधेरा कम रौशनी के आगे।। अश्कों को यहां पीकर है मुस्कुराना पङना। ये राज वो ही जाने जिगर चोट जब लागे।। सब कर्म बराबर कर ले सह के ये ग़म सारे। ग़म ही ये …