कुमार के मुक्तक

कुमार के मुक्तक | Kumar ke muktak

कुमार के मुक्तक ( Kumar ke muktak )  १ बहते   हुए  जल   पे  कभी  काई नहीं आती, बिना  उबले   दूध  पर   मलाई   नहीं  आती। थोङी  बहुत  शायरी  तो  सभी  कर  लेते  हैं, “कुमार”दर्द से गुजरे बिन गहराई नहीं आती। २ कौन कहता है कि दुःख में, कोई अपना नहीं होता। सितारे होते है कुछ लोग…