विजय संकल्प

विजय संकल्प

विजय संकल्प     हार माने हार होत है जीत माने जीत, जीतने वाले के संग सब लोग लगावत प्रीत।   मन कचोटता रह जाता जब होता है हार, मन ही बढ़ाता है मनोबल जीवन सीख का सार।   जीत-हार का जीवन चक्र सदैव चलता रहता है, जीत-हार उसी की होती है जो खेल खेलता…

लक्ष्य

लक्ष्य

लक्ष्य   है दुनिया में ऐसा कौन? जिसका कोई लक्ष्य न हो।   तृण वटवृक्ष सिकोया धरा धरणीपुत्र गगन हो।   प्रकृति सभी को संजोया कण तन मन और धन हो।   खग जल दिवा-रजनी बाल वृद्ध जन व पवन हो।। है दुनिया ०   सब संसाधन यहीं हैं,सही है, कहां दौड़ते ऐ विकल मन…