रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे
रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे रोज़ चलके देखा उल्फ़त दोस्ती की राह पे चोट खाली है वफ़ाओ आशिक़ी की राह पे उसका चेहरा दर्द ग़म दिल से भुलाने के लिये आ गया हूँ मैं भटकते मयकशी की राह पे ढूढ़ते ही ढूढ़ते राहें मुहब्बत इश्क़ की चलते चलते…