Poem On Time in Hindi | वक्त
वक्त ( Waqt ) ( 2 ) वक्त सिखा हि देता है घरौंदे की कारीगरी झुक जाती है अकड़, भूल जाती है दादागिरी हो जाते हैं हौसले पस्त, रोज की बदनामी से टूट जाता है परिवार भी, रोज की मारामारी से उठता ही नहीं सर कभी, किसी भले के आगे पुरखे भी रहते सदमे में,…