वे जीवित ही मरते

वे जीवित ही मरते

वे जीवित ही मरते कर्मशील जीवित रह कर के, हैं आराम न करते। नहीं शिकायत करता कोई, मुर्दे काम न करते। जीवन का उद्घोष निरन्तर, कर्मशीलता होती। कर्मक्षेत्र में अपने श्रम के, बीज निरंतर बोती। है शरीर का धर्म स्वेद कण, स्निग्ध त्वचा को कर दें, अकर्मण्यता ही शय्या पर, लेटी रह कर रोती। जो…