सुकूँ | Ghazal Sukoon
सुकूँ ( Sukoon ) कभी सच्चा ये मंज़र हो नहीं सकता ग़लत पथ पर कलंदर हो नहीं सकता अमर है इस जहां में प्यार सदियों से फ़ना ये ढाई आखर हो नहीं सकता दुआ माँ बाप की जिसने नहीं ली है सुकूँ उसको मयस्सर हो नहीं सकता मेरी इनकम ये मुझसे कहती है हर दिन…