सुलग रही है | Kavita Sulag Rahi Hai
सुलग रही है ( Sulag Rahi Hai ) सुलग रही है मातृभूमि के ,सीने पर चिंगारी । आज उऋण होने की कर लें ,हम पूरी तैयारी ।। जगह जगह बारूद बिछी है ,जगह जगह हैं शोले ग़द्दारों को थमा दिये हैं,दुश्मन ने हथगोले लूटपाट क्या ख़ून खराबा, सब इनसे करवा कर भरता है वो अभिलाषा…