हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है
हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है हर दिल पे छायी काई सी क्यूं है। हर इक शय आज पराई सी क्यूं है।। बेगाना अपनों में रह कर इंसा। हर दिल में यूं तन्हाई सी क्यूं है।। खुशियां तो दिखती मुखङे पे बेशक। दुख में इतनी गहराई सी क्यूं है।। …