हाथरस की भीड़ में

हाथरस की भीड़ में

हाथरस की भीड़ में हाथरस की भीड़, में शून्य हुआ जीवन रस अंधविश्वासी बनकर बाबा के दरबार में मैं तो नत मस्तक करने गई थी। अपनों के पास पहुंचने से पहले मैं बाबा धाम पहुंच चुकी थी। सुलझाने कुछ समस्या उलझन में सांसे फस गई थी अंधविश्वासी बनकर मैं तो बाबा के दरबार में गई…