हाथ में वरना मेरे ख़ंजर नहीं
हाथ में वरना मेरे ख़ंजर नहीं हाथ में वरना मेरे ख़ंजर नहीं! दुश्मनों के छोड़ता मैं सर नहीं कट रही है जिंदगी फुटफाट पे मासूमों पे सोने को बिस्तर नहीं लौट आया शहर से मैं गांव फ़िर ढूंढ़ता से भी मिला वो घर नहीं सिर्फ़ आता मंजर नफ़रत का नजर…