ग़म के साये में पल रही दिल्ली
ग़म के साये में पल रही दिल्ली ग़म के साये में पल रही दिल्ली हाल पे अपनें रो उठी दिल्ली हर तरफ़ देखो आग के शोले है दुश्मन से कब सुरक्षित रही दिल्ली प्यार की बारिशें नही होती नफ़रतों में हर पल जली दिल्ली क्या ख़ुशी से अब मुस्कुरायेगी हर चेहरे…