25 दिसंबर की शाम | 25 December ki Sham

25 दिसंबर की शाम | 25 December ki Sham

25 दिसंबर की शाम ( 25 December ki Sham )   बुझा हुआ सा रहता था एक इंसान, जो कहीं भी जाने से कतराता था। एक शाम चला गया दोस्तों के साथ, जहाँ क्रिसमस का मेला लगता था। शहर से कुछ दूर, एक राह खामोश थी। चर्च से थोड़ी दूर एक लड़की बेहोश थी। टहलता…