आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है

आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है | Ghazal

आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है ( Aaj yahan ulfat ki tuti dali hai )   आज यहां उल्फ़त की टूटी डाली है ! नफ़रत की दिल पे आज लगी ताली है   दी रोठी सब्जी आज किसी भी न मुझे यार रही अपनी तो  खाली थाली है   जीवन में इतने जुल्म अपनों…