Ghazal – अक्सर सज़ा मिली है जिनको, मुस्कुराने की
अक्सर सज़ा मिली है जिनको, मुस्कुराने की ( Aksar Saza Mili Hai Jinko, MuskuraneKi ) अक्सर सज़ा मिली है जिनको,मुस्कुराने की, जुर्रत वो कैसे कर सकेंगे,खिलखिलाने की। हम इम्तिहाने इश्क को तैयार हैं हर वक़्त, कोशिश तो करे कोई हमको आजमाने की। जमाई है धाक नभ पर सूरज औ चॉंद ने।…