Anindh Sundari

अनिंद्य सुंदरी | Anindh Sundari

“अनिंद्य सुंदरी” ( Anindh Sundari )   सदियों से तुमसे दीप्त सूर्य और प्रदीप्त होकर चांँद भूधर पाकर अपरिमित साहस अवनि अनंत धैर्य उर में धरती है पग धरती हो तुम उपवन में या मन में पुष्पित हो जाती हैं सुप्त कलियां सज जाती हैं मधुरम मंजरियांँ। मुस्कुराने से तुम्हारे फूट पड़ते हैं झरने प्रकृति…