अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं | Kavita
अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं ( Apni khushiyon ko pankh lagaate hain ) चलो अपनी खुशियों को जरा पंख लगाते हैं।?️ फिर से दोस्तों की गलियों में छुप जाते हैं।? फिर वही अल्हड़ पन? अपनाते हैं। कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराते हैं।? फिर वही बचपना अपनी आंखों में लाते…