Babul kavita

बाबुल | Babul kavita

बाबुल ( Babul )   बाबुल याद घणी सताये, बाबुल मन मेरा घबराये। जिस आंगन में पली-बढ़ी, आंखों में उतर आए रे। बाबुल मन मेरा घबराये, बाबुल मन मेरा घबराये।   मां की सीख हर्ष भर देती,घर संसार सुख कर देती। आंगन की तुलसी तेरे, खुशियों से झोली भर लेती।   मेरा रूठना और मनाना,…