मजबूर | Bhojpuri kavita majboor
मजबूर ( Majboor ) खुन के छिट्टा पडल, अउर पागल हो गइल ना कवनो जुर्म कइलक, कवन दुनिया में खो गइल जब तक उ रहे दिवाना, शान अउर पहचान के सब केहू घुमत रहे, लेके ओके हाथ पे आज समय अ्इसन आइल बा, लोग फेंके ढेला तान के कहां गइल मानवता, सभे हंसे जोर…