भुला रहे हो न | Bhula rahe ho na kavita
भुला रहे हो न ( Bhula rahe ho na ) कुछ बोलो कुछ तो सच बोलो, आज लिखकर मिटा रहे हो न। चुड़ा दही कुर्ता पायजामा आदि, बोलो ना तुम क्यों शर्मा रहे हो न। जहां आज खड़े हो ऐ उनकी है, पेड़ पौधे कुआं कल सब के सब। क्यों छुप कर…