![Bhula rahe ho na kavita Bhula rahe ho na kavita](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2021/12/Bhula-rahe-ho-na-kavita-696x464.jpg)
भुला रहे हो न
( Bhula rahe ho na )
कुछ बोलो कुछ तो सच बोलो,
आज लिखकर मिटा रहे हो न।
चुड़ा दही कुर्ता पायजामा आदि,
बोलो ना तुम क्यों शर्मा रहे हो न।
जहां आज खड़े हो ऐ उनकी है,
पेड़ पौधे कुआं कल सब के सब।
क्यों छुप कर भी जाते हो गली से,
उनके ख्वाबों को जला रहे हो न।