Bojh Swabhiman ka

बोझ स्वाभिमान का | Bojh Swabhiman ka

बोझ स्वाभिमान का ( Bojh swabhiman ka )   भर लिए भंडार ज्ञान का सर पर लादे बोझ स्वाभिमान का दब गई बेचारी विनम्रता संशय हर बात पर अपमान का बढ़ गई अकड़ दंभ से मिलने का मन बहुत कम से आंकने लगे कीमत और की बढ़ी औकात खुद की सबसे अदब, लिहाज सब छोटे…