चक्षुजल

चक्षुजल | Chakshujal par kavita

चक्षुजल ( Chakshujal )    बुभुक्षित कम्पित अधर का सार है यह। चक्षुजल है प्रलय है अंगार है यह।। तुंग सिंधु तरंग अमृत छीर है यह, प्रस्तरों को को पिघला दे वो नीर है यह, लक्ष्य विशिख कमान तूणीर है यह, मीरा तुलसी सूर संत कबीर है यह, प्रकृति है यह पुरुष है संसार है…