धूप का टुकड़ा | Dhoop ka tukda
“धूप का टुकड़ा” ( Dhoop ka tukda ) अलसाई सी सुस्ताई सी सर्दी में दुबकती सी मुरझाई सी कमरे के इक कोने में अपने में ही खुद से उलझती सी मैं…… और मुझमें मुझको ही ढूँढता सा आ गया कहीं से छिपता छिपाता सा मुझको मेरे हिस्से की गरमी तपिश देने वो ….