Dhoop ka tukda
Dhoop ka tukda

“धूप का टुकड़ा”

( Dhoop ka tukda )

 

 

अलसाई सी

सुस्ताई सी

सर्दी में

दुबकती सी

मुरझाई सी

कमरे के

इक कोने में

अपने में ही

खुद से

उलझती सी

मैं……

और

मुझमें

मुझको ही

ढूँढता सा

आ गया

कहीं से

छिपता

छिपाता सा

मुझको

मेरे हिस्से की

गरमी

तपिश देने

वो

.

.

.

गरम

मगर

नरम

धूप का टुकड़ा…

?

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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