Diwali ke upar poem

दिवाली | Diwali ke upar poem

दिवाली ( Diwali )   तेरी भी दिवाली है, मेरी भी दिवाली है, जब दीप जले मन का, तब सबकी दिवाली है।   सरहद पे दिवाली है, पर्वत पे दिवाली है, जिस-जिस ने लुटाया लहू उन सबकी दिवाली है।   खेतों में दिवाली है, खलिहान में दिवाली है, गुजरे जिस राह कृषक, उस राह दिवाली…

दिवाली फिर आई | Deepawali kavita in Hindi

दिवाली फिर आई | Deepawali kavita in Hindi

दिवाली फिर आई 1 हर दिल अज़ीज, सदियों पुरानी, त्यौहारों की रानी, दिवाली फिर आई। 2 उर्ध्वगामी लौ से, सतत विकास करने, पुरातन को शोधने, दिवाली फिर आई। 3 ज्ञान के आलोक से, अज्ञान-तम मिटाती, हृदय ज्ञान जगाती, दिवाली फिर आई। 4 मति-देव का पूजन, महालक्ष्मी आरती, दरिद्रता दूर भगाती, दिवाली फिर आई। 5 सकल…