हर दिल अज़ीज,
सदियों पुरानी,
त्यौहारों की रानी,
दिवाली फिर आई।
2
उर्ध्वगामी लौ से,
सतत विकास करने,
पुरातन को शोधने,
दिवाली फिर आई।
3
ज्ञान के आलोक से,
अज्ञान-तम मिटाती,
हृदय ज्ञान जगाती,
दिवाली फिर आई।
4
मति-देव का पूजन,
महालक्ष्मी आरती,
दरिद्रता दूर भगाती,
दिवाली फिर आई।
5
सकल भेद मिटाने,
कुमारआनंद बरसाने,
धर्म की जीत मनाने,
दिवाली फिर आई।
लेखक: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)