Diya

दीया | Diya

दीया (नज़्म)   माटी का दीया हूँ, मेरे पास आओ, जला करके मुझको अंधेरा भगाओ। सूरज का वंशज हूँ निर्बल न समझो, जुबां तो नहीं है, अपना ही समझो। घर, आँगन, बाहर कहीं भी जलाओ, जला करके मुझको अंधेरा भगाओ। माटी का दीया हूँ…….. सृजन है जहां का तब तक अधूरा, सितारों से होता न…