दुपहरिया | Dupaharia par Kavita
दुपहरिया ( Dupaharia ) तमतमाती चमक लपलपाती लपक लू की गर्म हवाएं बहती दायें बायें छांव भी गर्म पांव भी नर्म जल उठते थे नंगे जब चलते थे। दुपहरिया को क्या पता? गरीबी है एक खता? मेहनत ही उसकी सजा उसके लिए क्या जीवन क्या मजा पेट के लिए वो तो हमेशा ही जलते…