विजयादशमी | Vijayadashami Kavita
विजयादशमी ( Vijayadashami kavita ) ( 10 ) जागो रावण आए साल तूझे यूं खामोशी से जलता देख हे रावण,मुझे तो तुझ से इश्क़ हो चला है कभी तो पूछ उस खुदा से, क्या इन्साफ है तेरा मरने के बाद भी ,सदियों ज़माना क्यूं सज़ा देता चला है सोने की लंका थी मेरी ,शिव…