अपने वोट के हथियार से तस्वीर बदल दो

अपने वोट के हथियार से तस्वीर बदल दो

अपने वोट के हथियार से तस्वीर बदल दो   सच सुनता नहीं है कोई भी जागीर बदल दो, अपने वोट के हथियार से तस्वीर बदल दो। कब तक सफर करोगे, मंज़िल को ढूंढने में, ये हौंसला तो ठीक है, तदबीर बदल दो। खोखली भी कैसे ना हो इंसाफ़ की बुनियाद, हाकिम ही कह रहा है…