गलतफ़हमी रही हरदम | Galatfehmi Shayari

गलतफ़हमी रही हरदम | Galatfehmi Shayari

गलतफ़हमी रही हरदम ( Galatfehmi rahi hardam )    हमारी मानते वो ये गलतफ़हमी रही हरदम बरतने में उन्हें दिल में मिरे नर्मी रही हरदम। जफ़ा करके भी मैं उनका भरोसा जीत ना पाई मेरी ख़ातिर नज़र सरकार की वहमी रही हरदम। मुझे ले डूबी ये गफ़लत की बस मेरे रहेंगे वो मगर गैरों की…