उंगलियां उठा देंगे | ग़ज़ल दो क़ाफ़ियों में

उंगलियां उठा देंगे | ग़ज़ल दो क़ाफ़ियों में

उंगलियां उठा देंगे ( Ungliyan Utha Denge ) ज़मीने-दिल पे तो हम कहकशां भी ला देंगे तमाम लोग यहाँ उंगलियां उठा देंगै कहीं नमक तो कहीं मिर्चियां मिला देंगे दिलों में लोग यूँ हीं दूरियां बढ़ा देंगे ज़माना हमको भी मुजरिम क़रार दे देगा किसी से ऐसी कोई दास्तां लिखा देंगे किसी को सच की…