बरस रहा है | Geet Baras Raha hai
बरस रहा है ( Baras raha hai ) बरस रहा है जड़-चेतन से,सुधियों का अनुराग । मिलन-ज्योति भी लगा रही है, राजभवन में आग।। 🥇 पाती एक न आयी उसकी, नहीं कभी संदेश । चला गया वह मनभावन क्या, जाने किस परदेश । डसा जा रहा साधक मन को, विरह क्षणों का नाग ।।…