कंचन काया | Geet Kanchan Kaya
कंचन काया ( Kanchan Kaya ) संयम के आधारों से अब ,फूटे मदरिम फव्वारे हैं कंचन काया पर राम क़सम, यह नैना भी कजरारे हैं तेरे नयनों में मचल रही, मेरे जीवन की अभिलाषा कुछ और निकट आ जाओ तो,बदले सपनों की परिभाषा है तप्त बदन हैं तृषित अधर,कबसे है यह तन मन प्यासा ।।…

