Ghazal mehak

आज वो इंकलाब लिख दूँगा | Ghazal Aaj Wo Inqalab Likh Dunga

आज वो इंकलाब लिख दूँगा! ( Aaj wo inqalab likh dunga)     आज वो इंकलाब लिख दूँगा! हर अदू का हिसाब लिख दूँगा   हो महक हर पन्ने उसी की ही ख़ून से वो  क़िताब लिख दूँगा   साथ जो पल उसके  बिताए है हर किस्सा लाज़वाब लिख दूँगा   शक्ल से जो कभी…