में तेरे घर को देखे बगैर वहां से जा भी नहीं सकता

Ghazal | मैं तेरे घर को देखे बगैर वहां से जा भी नहीं सकता

मैं तेरे घर को देखे बगैर वहां से जा भी नहीं सकता ( Mein Tere Ghar Ko Dekhe Bagair Wahan Se Ja Bhi Nahin Sakta )     मैं तेरे घर को देखे बगैर वहां से जा भी नहीं सकता और फिर खुदको में यही बात समझा भी नहीं सकता   तेरे याद को बेरुखी…