Ghazal | दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी
दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी ( Dil Nahi Mana Kabhi Koi Gulami ) दिल नहीं माना कभी कोई ग़ुलामी। देनी आती ही नहीं हमको सलामी।। सीधे-सादे हम तो है उस रब के बंदे। राह सीधी जो चले सन्मार्ग-गामी।। गलतियों से क्यूं डरे हम इस जहां में। कौन जिसमें है नहीं…